"ग़ज़ल" हवाओ से कह दो बहना छोड दे, भोरो से कह दो मंडराना छोड दे, कलियो से कह दो चटकना छोड दे, बदलो से कह दो गरजना छोड दे, बिजलियो से कह दो चमकना छोड दे, जब ये हो नही सकता, फिर मुझसे क्यू कहते हो, की तर्ड़फना छोड दो, तड़ेफते दिल की तर्ड़फ्न हो तुम, धड़कतेऐ दिल की धरकन हो तुम, टूटती हुई सासो की आश् हो तुम, बीती हुएः बात की बास हो तुम, तुम किसी के लिये कुछ भी हो तुम, मेरे लिये तो खुदा से भी खास हो तुम, कलियो से कह दो खिलना छोड दे, फूलो से कह दो महकना छोड दे, जब यह हो नही सकता फिर मुझसे कीयू, कहते हो गम को छोड दे, हवाओ से कह दो बहना छोड दे, भोरो से कह दो मंडराना छोड दे, जब ये हो नही सकता, फिर मुझसे क्यू कहते हो, की तर्ड़फना छोड दो. |
Monday, July 25, 2011
"ग़ज़ल"
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वाकई दिल सी लिखी गई रचना है यह तो!
ReplyDeleteदिल से लिखी हुई अच्छी रचना वर्तनी की भूलें मजा कुछ कम करती है धीरे धीरे सुधार आयेगा वैसे आप पोस्ट हो जाने के बाद भी सुधार सकते हैं ।
ReplyDeleteव्याकुल भावों की आकुल अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना
ReplyDeletewhoah, this weblog is excellent I like reading your articles.
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