ऐ सागर तू कैसा हैं,
सब को समा लेता है,
हर किसी को अपना लेता है,इसीलिए तुझे सागर कहते हैं,
लेकिन तू तो है बहुत महान् ,
हर किसी को बना लेता है अपनी शान,
तेरी है ये अज़ब कहानी,
यह बात किसी ने ना जानी,
लेकिन तू तो बहुत महान्,
तू कितना गहरा है,
तू कितना गहरा है,
यह तुझे नही मालूम,
तेरी गहराई को मापती है दुनिया हर दम.
मगर फिर भी हैबहुत सी जानकारियों से अनजान
इसीलिए तो तू है बहुत महान्.
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteआप लिखते रहिए
और हम पढ़ते रहेंगे!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!सुन्दर अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति...बधाई
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